नई दिल्ली, अक्टूबर 1 -- विजयादशमी महोत्सव हर्ष-उल्लास के साथ ही सबक लेने का अनुपम अवसर है। संसार में बुराई और अच्छाई के बीच संघर्ष की महागाथाओं में रामायण का जो स्थान है, वह किसी अन्य ग्रंथ का नहीं है। रामायण में रचित राम और रावण का संघर्ष एक आदर्श है, एक उज्ज्वल प्रतीक है। एक महारथी रावण के विरुद्ध पैदल तपस्वी राम का जयघोष सदा से प्रेरणास्रोत रहा है। यह हमारे आधुनिक समाज का एक स्वाभाविक, किंतु त्रासद पहलू है कि भौतिक संपन्नता की प्रधानता के चलते रावण की चर्चा जरूरत से ज्यादा होने लगी है। तपस्वी राम की तुलना में वैभवपति रावण का आकर्षण ज्यादा दिखता है, किंतु रावण के आकर्षण का खोखलापन कदम-कदम पर जाहिर है। रावण को ज्ञान है, किंतु वह ज्ञान का सदुपयोग नहीं करता है, तो उसकी दुर्गति हो जाती है। रावण को प्रेम करना नहीं आता, हरण-अपहरण आता है। उसे ...
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