कन्नौज, जून 9 -- छिबरामऊ, संवाददाता। नगर के पूर्वी वाईपास स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में सौरिख से आये परम पूज्य महात्मा मोहित यादवजी ने अपने प्रवचन में कहा कि हमें परमात्मा ने ही ये शरीर ये मन और ये माया रुपी धन दौलत इत्यादि दी है, तो हर कोई एक समर्पित भाव ही मन में रखें, कि ये प्रभु की ही चीज हैं, इसको संभालना हमारा काम है। मन मे ये कोई अकड़ या कोई ऐसा रुप न लें, जो इन्सानियत से हट के हो। उन्होंने कहा कि मन में नम्रता रखते हुए अपना भाव हर एक के लिए प्यार और करुणा वाला जीवन बना रहे। वह कहते हैं कि ये बात गुरुओं, पीर-पैगम्बरों ने समझाई कि दास मन से बनना है। ये सेवा समर्पण का भाव सिर्फ परमात्मा के लिए ही नहीं हो, परमात्मा के बन्दो के लिए भी वही भाव हो। अक्सर देखते हैं कि सेवा का जब रुप बनता है, तो अगर उस समय हम अपने मन में अकड़ रख लेते ह...