संतकबीरनगर, फरवरी 23 -- पौली, हिन्दुस्तान संवाद। बाबा कंकणेश्वर नाथ मन्दिर परिसर मे चल रही गायत्री महायज्ञ व मानस प्रवचन के तीसरे दिन अवध धाम से पधारे संत ऋषिराज त्रिपाठी ने शनिवार को श्रोताओ को दक्षप्रजापति-सती प्रसंग का संगीतमयी कथा का रसपान कराया। कथा व्यास ने कहा कि सती जी जब अपने पिता महाराज दक्ष के यज्ञ में जाने का हठ किया तो भगवान शिव ने समझाने कि कोशिश करते हुए कहा कि 'जदपि मित्र प्रभु पितु गुर गेहा, जाइअ बिनु बोलेहुं न संदेहा। तदपि विरोध मान जहं कोई, तहां गए कल्यानु न होई।' इसमें संदेह नहीं कि मित्र, स्वामी, पिता और गुरु के घर बिना बुलाए भी जाना चाहिए। लेकिन यदि वहां कोई विरोध मानता हो, उसके घर जाने से कल्याण नहीं होता है। सती जी के हठ के आगे हार मानकर शिव सती को पिता के यज्ञ में शामिल होने के लिए भेज दिया। वहां जाने पर अपने पिता...
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