बस्ती, अप्रैल 8 -- बभनान, हिन्दुस्तान संवाद। जहां दूसरे के अधिकार छीनने की बात होगी, वहीं महाभारत होता है और जहां अपना अधिकार दूसरे को देने की प्रबल इच्छा होती है। वहीं रामायण होता है। श्रीराम कथा त्याग एवं समर्पण का आदर्श सिखाती है। नारायण वाटिका में सात दिवसीय श्रीराम कथा के शुभारंभ में कथावाचक पं. चतुर नारायण पराशर ने कथा का रसपान कराते हुए यह बातें कहीं। कथा को गति देते हुए कहा कि मानव में संतोष होना चाहिए। सुख-समृद्धि के लिए छीनने का नहीं अपितु देने का भाव होना चाहिए। श्रीराम कथा के शुभारंभ से पहले यजमान गनेश प्रसाद गुप्ता व ज्ञानमती के साथ तमाम श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा में हिस्सा लिया। कलश यात्रा सिद्धपीठ महागौरी मंदिर से शुरू हुई और कस्बे के विभिन्न मोहल्लों से होते हुए कथा स्थल पहुंची। इस दौरान नगर पंचायत अध्यक्ष प्रबल मालानी, शं...