रांची, जुलाई 27 -- तोरपा, प्रतिनिधि। तोरपा प्रखंड की महिलाएं अब लाह उत्पादन को केवल परंपरा नहीं, बल्कि व्यवसाय के रूप में देख रही हैं। लाह की खेती से जुड़कर उन्होंने अपने जीवन में बड़ा बदलाव लाया है। पहले जहां यह कार्य केवल सीमित आमदनी का स्रोत माना जाता था, वहीं अब महिलाएं लाह से लाखों रुपये की आमदनी कर रही हैं। लाह की खेती ने महिलाओं को आर्थिक रूप से न केवल आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उन्होंने यह भी सिद्ध किया है कि संगठित प्रयासों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया जा सकता है। महिला सहकारी समिति और 'प्रदान' की पहल रंग ला रही: तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वालंबी सहकारी समिति लिमिटेड और सामाजिक संस्था 'प्रदान' के सहयोग से इस क्षेत्र में कुसुमी और रंगिनी दोनों प्रकार के लाह चक्रों में बेहतरीन उत्पादन हो रहा है। यहां की महिलाएं अब पारंपरिक क...