पलामू, फरवरी 9 -- मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। भारतीय संस्कृति में पुरातनकाल से ही निषादों का सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व सामरिक महत्व रहा है। निषाद राज का उल्लेख किये बिना हमार प्रमुख धार्मिक ग्रंथ रामायण अधूरा है। दूसरे प्रमुख ग्रंथ महाभारत के रचयिता ही निषाद वंशी महर्षि वेदब्यास हैं। आदि काल में जब जलमार्ग ही आवागमन का प्रमुख साधन था तो निषाद ही वैश्विक व्यापार के वाहक थे। समय के साथ वायु, रेल व सड़क मार्ग के बढ़ते प्रचलन के कारण जलमार्ग की महत्ता कम होते ही मल्लाहों के प्रमुख पेशा नौकायन का दायरा सिकुड़ता चला गया। किंतु अभी भी मछली व्यापार देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भी प्रमुख स्थान रखता है। पलामू के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो अकेले जिला मुख्यालय मेदिनीनगर व इर्द-गिर्द रहने वाले 1200 परिवार मत्स्य पालन के पेशे से सीधे जुड़े...