लखनऊ, सितम्बर 12 -- लखनऊ, संवाददाता। आशियाना के चांसलर क्लब में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने बाली वध और भगवान द्वारा बाली की पत्नी तारा को ज्ञान प्राप्त होने की कथा का रसपान कराया। स्वामी जी कहा कि तारा बिकल देखि रघुराया। दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया.... बाली की मृत्यु के बाद तारा को व्याकुल देखकर श्री रघुनाथजी ने उसे ज्ञान दिया और उसकी अज्ञानता (माया) को हर लिया। भगवान कहते हैं कि यह शरीर पांच महाभूतों पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से बना है। इसमें जो चेतना है वही जीव रूप है। मृत्यु में वही जीवात्मा चली जाती है। वह जीवात्मा मरती नहीं है। बल्कि कर्म के अनुसार वह आत्मा अगला जन्म लेती है। भगवान कहते हैं कि हे तारा जो जीव आया था, अपने कर्म अनुसार चला गया। भगवान र...