नई दिल्ली, नवम्बर 19 -- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस्लामी कानून में तलाक के एक रूप 'तलाक-ए-हसन' की प्रथा में व्याप्त कुछ कमियों पर सवाल उठाया। अदालत ने इस प्रथा के तहत पति के वकील द्वारा पत्नी को तलाक का नोटिस भेजने की प्रथा पर चिंता जताई। शीर्ष अदालत ने वह इसके खिलाफ दाखिल याचिकाओं को संविधान पीठ के समक्ष भेजने पर विचार कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुइयां और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने उन मुस्लिम महिलाओं की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिन्होंने तलाक-ए-हसन का सामना किया है और भेदभावपूर्ण व्यवहार की शिकायत की है। सुनवाई के दौरान पीठ ने पति के वकील द्वारा पत्नी को तलाक का नोटिस भेजने की प्रथा की निंदा की। पीठ ने कहा कि इससे पति बाद में तलाक देने से इनकार कर देते हैं और पुनर्विवाह करने पर पत्नियों पर बहुपति...