वाराणसी, फरवरी 7 -- वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता बीएचयू के संगीत एवं मंच कला संकाय में गुरुवार से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में मंच कलाओं में समकालीन प्रवृत्तियां- प्रयोग एवं शास्त्र के संदर्भ में विमर्श हुआ। पद्मश्री प्रो. ऋत्विक सान्याल ने कहा कि मंच कलाओं में समकालीन प्रवृत्तियों की बात की जाए तो तकनीक का हस्तक्षेप बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है। जहां ज्यादातर कलाकार तकनीक का सदुपयोग कर रहे हैं, कुछ ऐसे भी हैं जो इसके दुरुपयोग से बाज नहीं आ रहे। मुख्य अतिथि संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि कला में प्रयोग होते रहने चाहिए, लेकिन इसका यह तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है कि प्रयोग के कारण कला अपना मूल स्वरूप ही खो दे। मंच कला में प्रयोग किसी भी कला में और निखार लाने के लिए किया जाना...