नई दिल्ली, नवम्बर 22 -- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कोविड ड्यूटी पर तैनात एक सरकारी डॉक्टर के खिलाफ केवल इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने पर निराशा जताई क्योंकि वह आपातकालीन वार्ड में विधायक के आने पर खड़ा नहीं हुआ था। अदालत ने कहा कि यह राज्य का 'असंवेदनशील' और 'बेहद चिंताजनक' रवैया दिखाता है। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहित कपूर की पीठ ने कहा कि समर्पित चिकित्सीय पेशेवरों के साथ होने वाली ऐसी घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए। अदालत ने हरियाणा के प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि डॉक्टर को 'स्नातकोत्तर चिकित्सीय पाठ्यक्रम' के लिए जरूरी 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' (एनओसी) तुरंत जारी किया जाए। अदालत ने राज्य पर 50,000 रुपये का जुर्माना' लगाया और जुर्माने की राशि पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़' के 'गरीब मरीज कल्याण कोष' में जमा करने को क...