रांची, अगस्त 6 -- रांची। झारखंड के 32 जनजातीय आदिवासी अपने रहन-सहन, खानपान और सभ्यता के साथ-साथ पारंपरिक संस्कृति के लिए भी पहचाने जाते हैं। यह समाज सदियों से जल, जंगल और जमीन से जुड़ा हुआ है। यह इनके अस्तित्व का सार भी है। इस समाज की पहचान मुख्यतः इनके जीवन दर्शन से होती है, जो उन्हें प्रकृति से जोड़ता है। समाज में हर मौसम, पर्व-त्योहार से लेकर बच्चे के जन्म तक के लिए अलग-अलग गीत-संगीत और नृत्य है। विशेष अवसरों के लिए कई प्राकृतिक और पारंपरिक खानपान मौजूद हैं। बदलते दौर में आदिवासी समाज की पहचान को दुनिया देख रही है। युवा पीढ़ी इसे आगे ले जा रही है। आदिवासी समाज का होगा अपना ऐप 'आदि निवास देश में पहली बार आदिवासी युवाओं द्वारा आदिवासियों के लिए अपना पहला ऐप बनाया गया है। नाम 'आदि निवास रखा गया है। यह ऐप सितंबार से चालू हो जाएगा। छत्तीसगढ...