कानपुर, फरवरी 28 -- आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से टूटी हड्डी या बोन टीबी के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी हड्डी को भी नई तकनीक की मदद से कारगर सिंथेटिक हड्डी विकसित की जा सकेगी। आईआईटी के वैज्ञानिक राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम पर पूरी तरह काम कर रहे हैं। इस साल विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक थीम है। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. अशोक कुमार ने एक ऐसी स्वदेशी तकनीक विकसित की है, जिसकी मदद से चिकित्सा क्षेत्र में बड़ा बदलाव संभव है। प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि यह दुनिया की पहली सिंथेटिक हड्डी होगी, जिस पर एंटीबायोटिक दवा का भी प्रयोग हो सकता है। यह हड्डी पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल है। मतलब, नई हड्डी के तैयार होने के बाद यह सिंथेटिक हड्डी स्वतः खत्म हो जाएगी। शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।...