अयोध्या, मार्च 23 -- अयोध्या, संवाददाता। कालातीत अयोध्या महोत्सव का दूसरा दिन आध्यात्मिक संगीत कविता और संस्कृत कहानी कहने का एक मंत्र मुग्ध करने वाला मिश्रण था जिसे भारत की समृद्धि और विविध विरासत का जश्न मनाया गया । कार्यक्रम के अंतिम शाम को भारतीय गायिका संगीतकार और लेखिका विद्याशाह और पद्मश्री उस्ताद अनवर खान मंगडियार ने अपने भावपूर्ण भक्ति संगीत के माध्यम से दर्शकों को मंत्र मुक्त कर दिया। विद्याशाह ने राजस्थान के लोकगीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। गाने के बोल की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मीराबाई का रही है कि धरती अंबर और मैं हम एक होने जा रहे हैं। इसके बाद उन्होंने झूले अवध बिहारी संग सिया सुकुमारी को सुनाया। उन्होंने बताया 1935 के कुछ गाने फिल्मों के लिए ही बने थे आज हम जिस माहौल में रहते हैं वहां फिल्मी संगीत के बगैर दुनिया...