नई दिल्ली, अगस्त 11 -- झूठ क्या है? एक अंतर्विरोध, एक आत्म-विसंगति, अपनी ही बातों में परस्पर विरोध। है न? स्वयं का ही यह विरोध चेतन स्तर पर भी हो सकता है और अचेतन स्तर पर भी। ऐसा जान-बूझकर भी किया जा सकता है या अनजाने भी; यह अंतर्विरोध अत्यंत सूक्ष्म भी हो सकता है या फिर खुले तौर पर भी। जब अंतर्विरोध में खाई बहुत बड़ी होती है, अंतर बहुत ज्यादा होता है, तब या तो व्यक्ति असंतुलित हो जाता है अथवा उस अंतर को महसूस करके वह उसे दुरुस्त करने में जुट जाता है। इस समस्या को समझने के लिए कि झूठ क्या है और हम झूठ क्यों बोलते हैं, हमें उसकी तह में जाना होगा। क्या अंतर्विरोध की इस समस्या को हम अंतर्विरोधग्रस्त न होने की कोशिश किए बिना देख सकते हैं, समझ सकते हैं? इस प्रश्न की पड़ताल करने में हमारी कठिनाई यह है कि हम झूठ की निंदा बड़ी तत्परता से करने लग ...