नितेश ओझा | रांची, सितम्बर 8 -- झारखंड में बाल विवाह पर रोक लगाने की जिम्मेदारी अब केवल प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) या उपायुक्तों (डीसी) तक ही सीमित नहीं होगी। नई व्यवस्था के तहत इसकी जिम्मेदारी सामाजिक कल्याण निदेशक, प्रमंडलीय आयुक्त, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम), बीईईओ, सीडीपीओ, बीडीओ, महिला पर्यवेक्षिका और पंचायत सचिव की भी होगी। यह कदम बाल विवाह के खिलाफ एक महत्वपूर्ण निर्णय है, क्योंकि अब पंचायत से लेकर जिला और प्रमंडल स्तर तक अधिकारी इसकी रोकथाम में सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे। बता दें कि राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने और बालिकाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा रोकने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है। कार्ययोजना का मुख्य फोकस लड़कियों के सशक्तिकरण, शिक्षा एवं उसके विकास पर फोकस है। ...