नई दिल्ली, नवम्बर 7 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। झारखंड को कोयले और पेट्रोलियम से 32 फीसदी आमदनी होती है लेकिन यदि वह हरित अर्थव्यवस्था की राह अपनाता है तो उसे इससे कहीं ज्यादा 6.7 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हो सकती है। ऊर्जा अर्थशास्त्र और वित्तीय विश्लेषण संस्थान (आईईईएफए) की एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयले पर निर्भर अर्थव्यवस्था से निकलने की शुरुआती लागत भले ही बड़ी हो, लेकिन लंबे समय में इसके सामाजिक और आर्थिक फायदे कहीं ज्यादा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2026 से 2070 के बीच झारखंड को अपने जीवाश्म ईंधन क्षेत्रों, कोयला खनन, थर्मल पावर और स्टील उत्पादन से ट्रांजिशन करने के लिए करीब 21.52 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इनमें सामाजिक सहयोग, पुनर्वास, और नई नौकरियों के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये का ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.