मेरठ, जून 7 -- शनिवार को शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौडा हाउस में जीवों की आत्मा की शांति के लिए शांति विधान का आयोजन किया गया। विधान में आए वक्ताओं ने कहा कि जैन धर्म का एक ही सार, जीव दया और शाकाहार। शांति विधान, जैन आगमों में वर्णित एक विशेष पूजा-पद्धति है, जो किसी प्रकार की अशांति, रोग, मानसिक क्लेश, संकट या प्राकृतिक आपदाओं से मुक्ति और शांति की स्थापना के लिए की जाती है। यह विधान रत्नत्रय की आराधना के साथ परमात्मा की स्तुति व अर्घ्य अर्पण द्वारा सम्पन्न किया जाता है। वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार शरीर की शुद्धि के लिए स्नान आवश्यक है, उसी प्रकार आत्मा की शुद्धि के लिए शांति विधान जैसे धार्मिक अनुष्ठान अनिवार्य हैं। यह विधान भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें संयम, सहिष्णुता एवं करुणा जैसे मूल्यों क...