बागपत, अक्टूबर 9 -- कहा तो दवाओं पर जीएसटी स्लैब कम होने के बाद मरीजों को राहत मिलनी चाहिए थी, लेकिन बाजार में बिल्कुल उल्टा खेल चल रहा है। पड़ताल में सामने आया कि कुछ कंपनियों ने दवाओं की पुरानी एमआरपी की जगह नई एमआरपी जारी कर दी हैं। इससे न केवल जीएसटी का लाभ मरीजों तक नहीं पहुंचा, बल्कि दवाएं और महंगी हो गईं। इससे मरीज, तीमारदारों के अलावा मेडिकल स्टोर संचालकों में भी रोष व्याप्त हैं। दरअसल, दवा कंपनियों को यह छूट है कि वे साल में 10 फीसदी तक कीमतें बढ़ा सकती हैं। वहीं नियमानुसार यह छूट केवल इस वर्ष सितंबर 2025 के बाद लॉन्च की गई दवाओं पर ही लागू होती है।कुछ कंपनियों ने इस नियम का गलत फायदा उठाया। उन्होंने पहले 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी, फिर उस पर जीएसटी की गणना इस तरह की कीमत घटने के बजाय और बढ़ गई है। पुरानी एमआरपी की जगह एमआरपी नई चिपका...