गोरखपुर, अप्रैल 11 -- गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। जिले की 35 से 40 फीसदी महिलाओं को गुणसूत्र संबंधी जांच की जानकारी नहीं है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। जबकि, गुणसूत्र संबंधी जांच के लिए ड्यूल मार्कर टेस्ट और लेवल-टू अल्ट्रासाउंड जांच वैश्विक स्तर पर सबसे सटीक माना गया है। इन दोनों जांच से गर्भ में पल रहे शिशु के क्रोमोजोमल बीमारियों का पता समय से पहले चल जाएगा। इससे टर्नर, सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नवजातों का जन्म नहीं हो सकेगा। एम्स की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की ओपीडी में आने वाली गर्भवतियों की जांच में यह बातें सामने आई है। एम्स की मीडिया सेल की चेयरपर्सन व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आराधना सिंह बताती हैं कि हर प्रेग्नेंसी में यह रिस्क रहता है कि गर्भ में शिशु का विकास सही तरीके से हो ...