एटा, मार्च 2 -- आज के इस आधुनिक दौर में मिट्टी की अनुपलब्धता कुंभकारों के लिए सबसे बड़ी समस्या है। चिकनी मिट्टी, जो दीपक और मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए जरूरी होती है। अब सुगमता से उपलब्ध नहीं हो पाती है। सरकारी नीतियों एवं प्रशासन की सख्ती के चलते कुंभकारों को मिट्टी खरीदने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि किसी तरह वे मिट्टी का प्रबंध कर भी लेते हैं, तो उसकी लागत इतनी अधिक हो जाती है कि मुनाफा निकालना मुश्किल हो जाता है। आज के दौर में कागज, फाइबर और थर्माकोल से बने गिलास, दोने और थाली का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। पहले जहां मिट्टी के बर्तनों और कुल्हड़ों का अधिक प्रचलन था, वहीं अब इनका उपयोग सीमित हो गया है। कुंभकारों में प्रशिक्षण की कमी भी उनकी उन्नति में बाधा बनी हुई है। सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं होने व रोजी रोटी के लिए दिनभ...