पटना, अप्रैल 30 -- माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय बहुत देरी से घोषित किया गया है। आम जनगणना पहले से ही चार साल से विलंबित है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा राज्य स्तरीय सर्वेक्षणों को राजनीति से प्रेरित बताना हास्यास्पद है। 2024 के संसदीय चुनावों में जाति जनगणना इंडिया गठबंधन की एक प्रमुख मांग रही है। बिहार में पहले ही 2023 में जाति गणना हो चुकी है। जाति सर्वेक्षण करने वाले राज्यों और इस मांग का समर्थन करने वाले विपक्ष को निशाना बनाने की बजाय, मोदी सरकार को बिहार विधानसभा द्वारा पारित किए गए 65 प्रतिशत आरक्षण नीति के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। खोखली बयानबाजी नहीं, बल्कि कार्रवाई होनी चाहिए।

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