मधुबनी, फरवरी 20 -- मधुबनी। नगर निगम क्षेत्र में लगभग 10 आरा मिलें चल रही हैं। इससे सैकड़ों लोगों का जीवनयापन हो रहा है। इन मिलों से जुड़े संचालकों व मजदूरों के परिवारों का भरण-पोषण इस व्यवसाय पर निर्भर है। अनुमान के मुताबिक, 500 से अधिक परिवारों का गुजारा इन मिलों से होता है। कच्चे माल की कमी व प्रतिस्पद्र्धा के दौर में पिछड़े मिल संचालकों को कई चुनौतियों से जूझना होता है। उनकी चुनौती दोहरे स्तरों पर है। लकड़ी के सामान की मांग में कमी व विभाग व पुलिस की गैरजरूरी सख्ती से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। मिल संचालकों ने बताया कि पहले आरा मिलें लकड़ी से बने उत्पादों जैसे दरवाजे, खिड़कियां, बेड और अन्य घरेलू सामान बनाने का प्रमुख स्रोत हुआ करती थीं। वर्तमान में लकड़ी की मांग में कमी आई है और मिल संचालक व्यापार का आकार घटाने पर मजबूर हो गए हैं। पहले जहां ...
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