गंगापार, जुलाई 19 -- जहां शिव हैं वहां नन्दी भी हैं, और जहां नन्दी हैं वहां शिवजी भी हैं। नन्दी धर्म का प्रतीक और शिव का अर्थ कल्याण है, अतः इसका सीधा अर्थ यही हुआ कि जहां धर्म है वहां शिव (कल्याण) भी हैं अथवा जहां शिव हैं वहीं धर्म भी है।उक्त बातें श्री बज्रांग आश्रम देवली, प्रतापपुर के संचालक एवं विहिप जिला गंगापार के वेद एवं संस्कृत प्रमुख आचार्य धीरज 'याज्ञिक ने प्रतापपुर के वारी व बरियांवा गांव में श्रावण मास की महत्ता के अंतर्गत एक धार्मिक संगोष्ठी में कही। कहा कि शिवजी का वाहन वृषभ है। वृषभ को धर्म का स्वरूप कहा जाता है अर्थात् शिवजी धर्म की सवारी करते हैं, जीवन के उत्थान एवं मंगल के लिए हमारे जीवन में धर्म की अत्यधिक आवश्यकता है। पशु तब तक ही सही दिशा में चलता है जब तक उसके ऊपर लगाम होती है। पशु को लगाम से एवं मनुष्य को धर्म से ही...