नई दिल्ली, सितम्बर 17 -- के के पांडेय, प्रोफेसर, अर्बन मैनेजमेंट, आईआईपीए पहाड़ी इलाकों में जल-प्रलय ने नदियों के साथ ही शहरों के जल-प्रबंधन की ओर हमारा ध्यान फिर से खींचा है। बेशक, इस साल मानूसन ने विशेषकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में ज्यादा तबाही मचाई है, पर यहां जान-माल की क्षति कम हो सकती थी, यदि हमने पूर्व की आपदाओं से सबक सीखा होता। यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि पहाड़ी राज्यों में नदियों के पाट में कई ढांचे अनियोजित तरीके से खड़े किए गए हैं। ये कैसे तैयार हुए, यह अलग बहस का विषय है, लेकिन इससे नदियों का प्राकृतिक बहाव-क्षेत्र अवरुद्ध जरूर हो गया। दुर्भाग्य से मैदानी इलाकों की भी यही स्थिति है। शहरों का लगातार विस्तार हो रहा है और पानी बहने का नैसर्गिक रास्ता रिहायशी क्षेत्र बनता जा रहा है। नतीजतन, अत्यधिक बारिश ...