वाराणसी, अक्टूबर 31 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। काशी में चल रहे अंतरराष्ट्रीय न्यूरोलॉजी सम्मेलन में गुरुवार की शाम संगीत के नवीन अध्याय का सृजन हुआ। देश में पहली बार जलतरंग और पखावज की जुगलबंदी हुई। काशी के दो दिग्गज कलाकारों ने देश-दुनिया से जुटे चिकित्सकों को शास्त्रीय संगीत की शीतल धारा से अभिसिंचित किया। नदेसर स्थित होटल ताज में हुई प्रस्तुति के लिए राग हंसध्वनि का चयन किया गया। सांध्यकालीन राग की इस प्रस्तुति में जलतरंग के माध्यम से उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व पद्मश्री डॉ.राजेश्वर आचार्य और दक्षिण भारतीय पद्धति का प्रतिनिधित्व पखावज के माध्यम से संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र ने किया। जलतरंग और पखावज की जुगलबंदी के दौरान वर्जित मध्यम और धैवत स्वरों का पालन करते हुए दोनों वरिष्ठ वादकों ने औडव-औडव जाति के इस राग के स्व...