नई दिल्ली, अक्टूबर 28 -- यशवंत देशमुख,संस्थापक, सी-वोटर माना जाता है कि लोकतंत्र में मतदान दोषरहित होते हैं। मगर चुनाव की निष्पक्षता इससे तय होती है कि मतदाता सूची कितनी निष्पक्ष है, क्योंकि वही सुनिश्चित करती है कि कौन मतदान करेगा? यही वजह है कि भारत निर्वाचन आयोग के नए विशेष गहन पुनरीक्षण, यानी एसआईआर पर सबकी नजरें टिक गई हैं। इसका मकसद सुनने में तो अच्छा लगता है- गलतियां दुरुस्त करना, नामों के दोहराव को हटाना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना। मगर जैसा अक्सर होता है, अच्छे इरादों से शुरू की गई मुहिम कई बार भरोसे के पैमाने पर खरी नहीं उतर पाती। कागजों पर देखें, तो एसआईआर घर-घर होने वाला एक ऐसा सर्वे है, जो देश के 97 करोड़ मतदाताओं की जांच करके उनके नाम हटाने या जोड़ने का काम करेगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने 1950 के जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम की धा...