नई दिल्ली, सितम्बर 18 -- एशिया कप के इस टूर्नामेंट में फॉर्मेट ही कुछ ऐसा बनाया गया है कि महज दो हफ्ते के भीतर भारत और पाकिस्तान की टीमें तीन बार आमने-सामने आ सकें। दो हफ्ते के अंदर तीन मैच कराना; योजना बनाकर रविवार को मैच रखना, यह बताने के लिए काफी है कि इन खेलों का उद्देश्य जन-भावनाओं, देशभक्ति को परे रखकर सिर्फ पैसा कमाना है। इस टूर्नामेंट में ओमान, यूएई, हांगकांग जैसी टीमों को सिर्फ खानापूर्ति के लिए रखा गया है। जो लोग यह तर्क दे रहे हैं कि क्या भारत किसी टूर्नामेंट का सिर्फ इसलिए बहिष्कार कर दे कि उसमें पाकिस्तान खेल रहा है, तो उन्हें बता दूं कि केंद्र सरकार खुद मानती है, ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। तो, युद्ध के दौरान मैच खेलने और युद्ध समाप्त होने के बाद मैच खेलने में अंतर है। और, यह भी नहीं है कि टीमों ने इससे पहले बहिष्कार नहीं ...