नई दिल्ली, अगस्त 7 -- कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ ने अपने मामा की हत्या के दोषी व्यक्ति की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि जज को कभी भी 'खून का प्यासा नहीं होना चाहिए। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने फैसला सुनाते हुए कहा कि समाज का विकास सजा देने के बदले सुधारात्मक दृष्टिकोण की ओर रहा है, न कि दंडात्मक दृष्टिकोण की ओर। उन्होंने कहा कि दंड के तीन प्रमुख स्तंभ हैं दंड, निवारण और सुधार। जहां निवारण अब भी एक उचित कदम के रूप में मान्य है, वहीं भारत और अन्य जगहों पर आधुनिक आपराधिक न्यायशास्त्र में, सजा का स्थान धीरे-धीरे दंड का सुधारात्मक पहलू लेने लगा है। न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने भारतीय दंड संहिता की धारा 396 (हत्या के साथ डकैती) के तहत दर्ज मामले में जलपाईगुड़ी सेशन कोर्ट द्वारा ...