गाजीपुर, मार्च 17 -- गाजीपुर। माह-ए-रमजान पर नखासा स्थित मस्जिद ए जाफरिया के मौलाना सैयद वसीम रज़ा ने कहा कि रमजान के महीने में की गई खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर संयम कर तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इंसान की रूह पाक-साफ हो जाती है। अपनी गलतियों को सुधारने का मौका भी रमजान के रोजे में मिलता है। गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है। इसीलिए इन दिनों जकात देने का खासा महत्व है। जकात का मतलब है अपनी कमाई का ढाई प्रतिशत गरीबों में बाँटना। जकात देने से आदमी के माल और कारोबार में खुदा बरकत करता है। इस्लाम में रोजे, जकात और हज यह तीनों फर्ज हैं।
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