गंगापार, दिसम्बर 30 -- कोरांव हिन्दुस्तान संवाद। कोरांव तहसील क्षेत्र के जंगलों के आसपास लगभग 60 प्रतिशत गरीब परिवार आज भी लकड़िया बीनकर ठंडक को मिटाते हैं। साथ ही सरकार द्वारा नि:शुल्क दी गई उज्जवला कनेक्शन को एक बार फ्री पाने के बाद दुबारा न भरा पाने की स्थिति में इन्हीं लकड़ियों को जलाकर पेट की आग भी बुझाते हैं। अंतरेजी जंगल से सिर पर लकड़ियों का गट्टठर लादे देवघाट गांव की बुधनी, निर्मला, शिवकुमारी और बिटइया ने बताया कि भयंकर ठंड में भी वह सुबह 8 बजे लकड़िया लाने के लिए जंगल की ओर निकल जाती हैं और दोपहर बाद लगभग दो से तीन बजे वापस लौटती हैं। यही लकड़िया ठंड और पेट की भूख दोनों मिटाती हैं।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित...