नई दिल्ली, जुलाई 1 -- बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई त्वरित मतदाता सूची पुनरीक्षण मुहिम ने गंभीर विवाद का रूप ले लिया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कवायद, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को मतदान से वंचित करने की साजिश का हिस्सा है। आयोग की इस जल्दबाजी ने उसकी निष्पक्षता और विश्वसनीयता, दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, आयोग ने दावा किया है कि वह 25 दिनों के भीतर करीब 7.89 करोड़ मतदाताओं की सूची की जांच कर नई संशोधित सूची 30 सितंबर तक जारी कर देगा। यह समय-सीमा अत्यंत अव्यावहारिक लगती है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में फॉर्म जमा कराना, दस्तावेजों की जांच करना और त्रुटिहीन सूची बनाना बेहद जटिल प्रक्रिया है। यह वही चुनाव आयोग है, जो अपनी सीमित क्षमता का हवाला देकर एक-दो चरणों वाले चुनावों को भी कई चरणों में कराता है...