नई दिल्ली, अगस्त 31 -- वर्षों बाद भारत और चीन के बीच एक तरह की अनुकूलता का माहौल स्वागतयोग्य है। चीन की धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर पर आमने-सामने की वार्ता हुई है, जिसमें दोनों देशों के नेताओं ने माना है कि हाथी और ड्रैगन का साथ-साथ चलना जरूरी है। खासतौर तौर पर चीन की ओर से यह बात समझाने की कोशिश हुई है कि दोनों देश परस्पर प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास में साझीदार हैं। वास्तव में, भारत की चीन के प्रति सद्भावना सदैव रही है, पर चीन की ओर से ही नाना प्रकार की आक्रामकता का दुखद इतिहास रहा है। बीजिंग में खुशनुमा बातचीत के बावजूद इस आक्रामकता को भुलाया नहीं जा सकता। हां, जिनपिंग के अच्छे उद्गार उम्मीद जरूर जगाते हैं कि ड्रैगन अब हाथी के महत्व को नए सिरे से स्वीकारना चाहता है। जिनपि...