भदोही, फरवरी 17 -- ज्ञानपुर, संवाददाता। चना फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप बढ़ने लगा है। कृषक विशेष सावधानी बरत फसलों को बचा सकते हैं। किसानों की मेंहनत पर पानी न फिर जाए इसलिए बचाव का विशेष उपाय करना अत्यंत जरुरी है। कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. विश्वेंदु द्विवेदी ने बताया कि फसल जब पुरवा हवा चलता है तो फली छेदक कीट का प्रकोप और तेजी से बढ़ता है। चना फसल को इस बीमारी से बचाने के लिए चिड़ियों को बैठने के लिए लकड़ी का स्थान बनाएं। लकड़ी पर बैठने वाली चिड़ियां फली छेदक कीट की सुड़ियों को खाती हैं। साथ ही एनपीवी (न्यूक्लियर पालीहेड्रोसिस वायरस) की सौ मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ 120 लीटर पानी में घेलकर छिड़काव करें। ऐसा करने पर सुड़ियां मरने लगती हैं। ब्यूभेरिया बेसियाना नामक जैविक कीटनाशक तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर...