नई दिल्ली, फरवरी 28 -- अपना घर होना आज भी मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी बात है। आज भी ऐसे कई परिवार हैं जो पुरखों के बनाए मकान में रह रहे हैं। ऐसे भी कई लोग हैं जिन्होंने पाई-पाई जोड़कर कुछ ही साल पहले अपना मकान लिया होगा। ऐसे में मकान से भावनात्मक जुड़ाव तो लाजमी है। लेकिन हर चीज की एक उम्र होती है। इसी तरह मकान की मियाद भी पूरी होने लगती है और उसका बुढ़ापा नजर आने लगता है। दीवारों की दरारें और छत का उखड़ा पलस्तर, पुरानी लकड़ी की चौखट पर लगी दीमक और पानी की टंकी वाले हिस्से से टपकती सीलन वाली छत अपनी मरम्मत की राह ताकने लगें, तो समझ लीजिए कि घर की देखभाल का समय आ गया है। कभी-कभी तो घर को रेनोवेट करने की जरूरत तब भी पड़ने लगती है, जब नक्शा जरूरत के हिसाब से न बना हो या घर का सही इस्तेमाल न हो पा रहा हो। लेकिन क्या हाथ में पैसा होने भर से घर के मेकओव...