पटना, फरवरी 14 -- ग्रामीण चिकित्सक उन सुदूर गांवों और इलाकों में गरीब मरीजों का प्राथमिक इलाज करते हैं, जहां तक सरकारी स्वास्थ्य सेवा की पहुंच नहीं है। इसके लिए मरीजों के घर तक पहुंचना होता है। इसीलिए इन्हें ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ भी कहा जाता है। जब कभी किसी के घर में इमरजेंसी हो तो टोले-मोहल्ले के ग्रामीण चिकित्सक ही हैं, जो तुरंत वहां पहुंचते हैं। इस लिहाज से समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्रामीण चिकित्सक स्थायी रोजगार और अपनी पहचान की आस में हैं। उनकी मांग है कि सरकार उन्हें स्वास्थ्य मित्र के रूप में नियुक्त करे और क्लीनिक खोलने की अनुमति दे। सुदूर गांवों में जब अचानक से किसी की तबीयत खराब हो या किसी के घर में कोई इमरजेंसी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाये तो टोले-कस्बे के ग्रामीण चिकित्सक की याद आती है। मरीज उनके घर तक पह...