नई दिल्ली, जुलाई 29 -- गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े एक मामले में तीन दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनकी दोषसिद्धि विश्वसनीय साक्ष्यों पर आधारित नहीं थी। हाईकोर्ट का यह फैसला मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सचिन पटेल, अशोक पटेल और अशोक गुप्ता को पांच-पांच साल के कठोर कारावास दी थी। हाईकोर्ट का यह फैसला लगभग 19 साल बाद आया। न्यायमूर्ति गीता गोपी की पीठ ने सचिन, अशोक और अशोक गुप्ता की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। याचिकाओं में आणंद की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट के 29 मई 2006 के फैसले को चुनौती दी गई थी। पीठ ने सोमवार को पारित आदेश में कहा कि अधीनस्थ अदालत से साक्ष्यों के मूल्यांकन में चूक हुई है। दोषसिद्धि विश्वसनीय और पुष्टिकारक साक्ष्यों पर आधारित नहीं है। मुकदमे के दौरान आरोपियों की पहचान भी साबित नहीं की जा सकी...