नई दिल्ली, अगस्त 15 -- डॉ. प्रभात ओझा बलिया में 1942 की अगस्त क्रांति की वर्षगांठ तब की घटनाओं के साथ बहुत से अन्य संदर्भ भी याद करने का अवसर है। शुरुआत तब बंबई और (आज मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में किए गये गांधी जी के आह्वान से करनी चाहिए। उस अवसर को तीन दिनों में बांट कर देखना जरूरी है। ग्वालिया टैंक मैदान, जो आज अगस्त क्रांति मैदान है, वहां गांधी जी ने कांग्रेस अधिवेशन के पहले दिन 7 अगस्त को भाषण किया था। इस भाषण में ही 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' की हुंकार शामिल थी। यह प्रस्ताव 8 अगस्त को कांग्रेस अधिवेशन में पारित हुआ। गांधी जी ने तभी 'करेंगे या मरेंगे' का नारा दिया। गांधी जी की हुंकार ओर उनके नारे, यानी 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' और 'करेंगे या मरेंगे' को मिलाकर क्रांति का जो प्रवाह बना, उसके दो किनारे दिखे। एक किनारा गांधी जी का अहिंसा वा...
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