नई दिल्ली, जून 14 -- पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी को 15-16 जून, 2020 की रात तक कोई नहीं जानता था। उस रात वहां कुछ ऐसा हुआ, जिसने न केवल भारत और चीन के रिश्तों पर व्यापक असर डाला, बल्कि हमें अपनी सामरिक तैयारी व सीमा की सुरक्षा के जटिल मुद्दों पर नए सिरे से विचार करने को भी प्रेरित किया। आज गलवान हादसे की पांचवीं बरसी पर उन रक्त-रंजित लम्हों को याद करना जरूरी है। याद करें। भारत और चीन के बीच 2013 से रह-रहकर तनाव की स्थिति बन जाती थी। 2017 में भी चीनी सैनिक विवादित क्षेत्र में घुस आए थे। भारत ने जवाबी कार्रवाई में देर नहीं लगाई थी। इस तनाव को खत्म करने के लिए दोनों पक्ष कई दौर की बातचीत के बाद पुरानी स्थिति बहाल करने पर राजी हो गए थे। इसी बीच गलवान घाटी में चीन ने एक निगरानी चौकी बना ली थी। भारतीय सेना की आपत्ति के बावजूद चीनी सैनिकों ने उसे...