सिद्धार्थ, मई 1 -- सिद्धार्थनगर। कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रवेश कुमार ने मिट्टी परीक्षण पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की उपेक्षा भविष्य में गंभीर समस्या बन सकती है। उन्होंने बताया कि किसानों की ओर से असंतुलित रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग और जैविक खादों का कम उपयोग मिट्टी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है। फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता व जैव विविधता प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि खराब मिट्टी का सीधा असर मनुष्य, पशु और पौधों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। फसलों को 90 प्रतिशत से अधिक भोजन मिट्टी से ही प्राप्त होता है। मिट्टी परीक्षण के लिए सही तरीके से नमूना लेना महत्वपूर्ण है। सामान्य फसलों के लिए 30 सेमी और बागवानी के लिए 30, 60 और 90 सेमी की गहराई से नमूने लेने चाहिए। नमूना खेत की ...
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