मुंगेर, अगस्त 25 -- मुंगेर, हिन्दुस्तान संवाददाता। पादुका दर्शन संन्यास पीठ में चल रहे देवी भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को स्वामी गोविंद देव गिरिराज महाराज ने राजा जनमेजय और वेदव्यास के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवों से अनजाने में भी पाप कर्म हो जाते हैं, लेकिन उनका प्रायश्चित संभव है। स्वामी जी ने कहा कि वेदव्यासजी के अनुसार साधक को पाप कर्म का पुनः न करने का संकल्प लेकर देवी का ध्यान, मंत्र-जप और नाम-स्मरण करना चाहिए। भगवान का नाम अत्यंत शक्तिशाली है। चाहे श्रद्धा से लिया जाए या अनजाने में, इसका फल सदैव सकारात्मक ही होता है। यही कारण है कि श्रेष्ठ साधक हर क्षण भगवान का नाम उच्चारित करते रहते हैं। गंगा दर्शन के महत्त्व को समझाते हुए कहा कि वेद व्यासजी ने देवी स्वरूपा नदियों का विशेष वर्णन किया है। इनमें गंगा का महत्व सर्वोपरि ह...