आगरा, फरवरी 26 -- सुबह जगते ही मजदूरी करने के लिए काम मिलने की चिंता सताने लगती है। फिर मजदूर चौक पर आते हैं, लोग अपने हिसाब से तरह-तरह से काम के हिसाब से मजदूरी का मोल-भाव तय करते हैं। अगर किसी भी कारण मजदूरी चौक पहुंचने में देरी हो जाए तो फिर काम मिलना भी मुश्किल हो जाता है या फिर दिन भर का कम मेहनताना मिलता है। कभी-कभी बिना काम के वापस घर लौटना पड़ जाता है, जिस पर पूरा दिन बेकार हो जाता है। यह जिले के एकाध मजदूर की स्थिति ही नहीं बल्कि करीब तीन हजार दिहाड़ी हजारों की है, जो कि रोजाना मजदूरी के लिए अपने घरों से शहर के अलग-अलग मजदूर चौक पर पहुंचते हैं। मजदूरी करने जाने से पहले मजदूर चौक पर एकत्र मजदूरों ने आपके अपने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कासगंज संवाद में अपनी बातें और समस्याएं खुलकर रखीं। मजदूरों का कहना है कि हमारे लिए सरकार ने योजनाए...