गंगापार, जून 26 -- मशीनों के जमाने से पहले बैल ही शक्ति के मुख्य स्रोत हुआ करते थे। खेत जोतने, पानी खींचने और फसल ले जाने जैसे सभी कार्यों में बैल का इस्तेमाल होता था। बैल न केवल किसानों की खेती का काम आसान बनाते थे बल्कि उसकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान किया करते थे। आधुनिक युग में बैल की दुर्दशा हो रही है। बछड़े को उसकी मां गाय को दूध देने तक रखा जाता है। जैसे ही गाय दूध देना बंद कर देती है, छुट्टा पशुओं के बीच छोड़ दिया जाता है। यही वजह है कि आज आवारा पशुओं का झुंड सड़कों से लेकर खेतों तक में दिखाई दे रहा है। इसी का खामियाजा है कई गरीब किसान आज पाटा आदि की जरूरत पड़ने पर खुद बैल की भूमिका में दिखाई देते हैं। उन्हीं में एक सुगंधिया गांव में धान की नर्सरी तैयार करने में लगे किसान दल बहादुर पाल ने बैल की भूमिका में अपने को लगाकर पाट...
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