अमरोहा, जुलाई 1 -- नगर के सभी स्थानीय इमामबारगाहों में मोहर्रम पर मजलिसों मातम का सिलसिला जारी है। हर जगह हुसैन-हुसैन की सदा बुलंद हो रही हैं। देर रात इमामबारगाह दादे हिमायत अली में मजलिस हुई, जिसका आगाज मर्सियाखुवानी से मिसाल अब्बास बाकरी और उनके हमनवा ने किया। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हाजी कंबर अली ने बताया कि इस्लाम का पैगाम है कि खुद जियो और दूसरों को जीने दो। अल्लाह ने इंसान को आजाद पैदा किया है, इसलिए किसी के गुलाम न बनो। आजादी इंसान का पैदाइशी हक है। आजाद जिंदगी गुजारो। फरमाया कि वक्त का जालिम बादशाह यजीद नबी के नवासे हजरत इमाम हुसैन से बैयत लेना चाहता था, जिसे इमाम ने इनकार कर दिया। मौला हुसैन ने अपने साथियों के साथ कर्बला के मैदान में अपना सिर कटा दिया, मगर जालिम यजीद के आगे सिर न झुकाया। कर्बला का दर्दनाक मंजर सुनकर अजादार...