सुल्तानपुर, मार्च 15 -- सुलतानपुर, संवाददाता रमजान को नेकियों का मौसमों बहार भी कहा जाता है। रमजान महीने में दस - दस रोजा के तीन असरा (खंड) होते हैं। पहले असरा को रहमत दूसरे को बरकत तीसरे असरा को मगफिरत वाला असरा कहा जाता है। निजाम खान ने बताया कि हजरत मुहम्मद सल्लललाहु अलैहिस्सलाम के इन कथनों का मतलब साफ है कि खाली भूखा और प्यासा रहना इबादत नहीं बल्कि इसका का आधार कुछ दूसरा है। अल्लाह (ईश्वर)के खौफ के कारण से ईश्वर के बनाए हुए नियमों को न तोड़ना और ईश प्रेम के लिए हर उस कार्य की तरफ शौक से बढ़ना जिसमें भलाई शामिल हो और अपनी नफ़्स (इंद्रियों) को नियंत्रण करना हो। जहां तक संभव हो दूसरों की मदद करना चाहिए। किसी के साथ अन्याय व अत्याचार न करना करे। किसी के दिल को न दुखाना, पड़ोसियों का ख्याल रखना चाहे वह किसी भी जाति धर्म संप्रदाय का हो। किसी...