औरंगाबाद, सितम्बर 30 -- हसपुरा, संवाद सूत्र। हसपुरा बाजार में दुर्गापूजा के अवसर पर अष्टमी और नवमी को होने वाले नाटकों की परंपरा खामोश हो गई। लगभग ढाई दशकों से यहां का रंगमंच अपनी पहचान खोता जा रहा है। उस जमाने में हसपुरा के रंगमंच ने हसपुरा के अलावा आसपास के क्षेत्रों में काफी लोकप्रियता हासिल की थी। इसका समृद्ध इतिहास लगभग 40 वर्षों से चला आ रहा था। यहां का नाटक देखने के लिए दूर-दराज से बिन बुलाए भीड़ आती थी। कलाकारों की तीसरी पीढ़ी रंगमंच से जुड़ी रही। पूजा कमेटी द्वारा रंगमंच से मुंह मोड़ लिए जाने से नाटक की जगह आर्केस्ट्रा ले ली। कई वर्षों तक आर्केस्ट्रा का कार्यक्रम शुरू हुआ। जिससे रंगमंच पूरी तरह से लुप्त हो गया। मंच के कलाकारों में अब उतना उत्साह भी नही रहा। ग्रामीण इलाके से आए कुछ बुजुर्ग लोग आज भी अष्टमी और नवमी को नाटक देखने के...
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