नई दिल्ली, जून 30 -- शरीर को भला-चंगा रखने की इच्छा से लोग योग सीखने आते हैं। कुछ लोग सुबह-सुबह टहलने की कोशिश करते हैं। कुछ दूसरे व्यायामों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। लेकिन, यदि गौर करें कि क्या ये लोग सीखे हुए योगासन या व्यायामों को नियमित रूप से करते हैं, तो आप यही पाएंगे कि नहीं करते। उन्हीं से पूछकर देखिए, फट से जवाब मिलेगा, 'आज बड़ी थकान है। कल से मैं बिना नागा करूंगा।' क्या कल से ये लोग टहलने जाएंगे? नियमित रूप से व्यायाम करेंगे? कोई गारंटी नहीं। आप अपनी पसंद का काम किए बिना सुस्ती से बैठेंगे, तो खुद आपका मन अपराध-बोध के साथ आपको डांटेगा, 'यह क्या? सुस्त बैठे हो? उठो।' आपका अहंकार कभी भी आपको यह स्वीकार करने नहीं देगा कि 'मैं गैर-जिम्मेदार हूं।' आपका अहंकार यही तसल्ली देकर मन को धोखे में रखेगा कि मैं आलसी नहीं हूं भई, कल स...