नई दिल्ली, फरवरी 14 -- ना जाता है कि बचपन जिज्ञासा, विकास और असीम ऊर्जा से भरा होना चाहिए। लेकिन कुछ बच्चों के लिए, यह ऊर्जा भारी साबित हो सकती है। उन्हें स्थिर रहने, ध्यान केंद्रित करने या अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में कठिनाई हो सकती है। हालांकि इस तरह का व्यवहार बड़े होने की प्रक्रिया की तरह लग सकता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है, जिसे एडीएचडी के रूप में जाना जाता है। यह एक न्यूरोडेवलपमेंट स्थिति है जो बच्चों के सोचने, सीखने और बातचीत करने के तरीके को प्रभावित करती है। एडीएचडी बचपन की सबसे आम स्थितियों में से एक है, जो भारत में लगभग 5 से 8% बच्चों को प्रभावित करती है। ऐसे बच्चे आम बच्चों से ज्यादा सक्रिय होते हैं, उन्हें चोट आसानी से लगती है और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रख पान...
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