नई दिल्ली, दिसम्बर 19 -- पिछले कुछ वर्षों से हमारी अर्थव्यवस्था को लेकर एक स्थायी दावा दोहराया गया है कि देश तेजी से बढ़ रहा है। जीडीपी के आंकड़े ऊंची वृद्धि दर दिखाते हैं और भारत को दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की कतार में खड़ा किया जाता है। मगर यह दावा आम लोगों के रोजमर्रा के अनुभव से मेल नहीं खाता। अगर देश सच में इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, तो आमदनी क्यों नहीं बढ़ रही, रोजगार क्यों नहीं मिल रहे? इस विरोधाभास को समझने के लिए सबसे पहले जीडीपी की सीमा को समझना जरूरी है। जीडीपी बताती है कि देश में कुल उत्पादन कितना हुआ, लेकिन यह नहीं बताती कि उस उत्पादन का लाभ किसे मिला? अगर उत्पादन बढ़े और उसका बड़ा हिस्सा समाज के एक छोटे से हिस्से तक सिमट जाए, तो जीडीपी ऊंची तो दिखेगी, लेकिन बहुसंख्यक आबादी की जिंदगी में कोई ठोस बदलाव नहीं आएगा। भारत म...