नई दिल्ली, अप्रैल 14 -- बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने अपना जीवन अस्पृश्यता उन्मूलन एवं वंचितों को अधिकार दिलाने के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने अस्पृश्यता को हिंदू धर्म की सबसे खतरनाक बुराई माना था और वह मानते थे कि इसके चलते समाज के तौर पर हम कमजोर हुए हैं। उन्होंने इसके खिलाफ खूब लिखा और आंदोलन भी किए। यहां तक कि महात्मा गांधी जैसे कई नेताओं के साथ उनके मतभेद भी रहे। इसकी वजह थी कि आंबेडकर मानते थे कि जाति व्यवस्था को खत्म किए बिना अस्पृश्यता जैसी अमानवीय चीज खत्म नहीं हो सकती। वहीं महात्मा गांधी के विचार थे कि वर्ण व्यवस्था को समाप्त किए बिना भी इससे मुक्त पाई जा सकती है। भीमराव आंबेडकर ने अस्पृश्यता के नाम जो अमानवीय घटनाएं हुईं, उनका खूब वर्णन किया था। उनके अपने बचपन के कई ऐसे वाकये थे तो उन्होंने समाज में हुई अन्य घटनाओं को भी रिप...
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