दिल्ली, अप्रैल 22 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के एक रुख पर आपत्ति जताई। मामला 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड से जुड़ा हुआ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा काट रहे एक दोषी को उसकी हिरासत अवधि पूरी होने के बाद भी रिहा नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अर्चना पाठक दवे के इस तर्क पर हैरानी जताई कि सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की स्वचालित रिहाई नहीं हो सकती है। पीठ ने कहा,"हम एक व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मामले पर विचार कर रहे हैं। उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक दोषसिद्धि बरकरार रखी गई है। निश्चित अवधि दी गई है। यदि हम पाते हैं कि उसे कानूनी रूप से अनुमेय अवधि से अधिक हिरासत में रखा ...
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